Leave a Comment / Temples / By Harsh
GARJIYA MATA TEMPLE RAMNAGAR UTTARAKHAND, NAINITALGARJIYA MATA TEMPLE RAMNAGAR UTTARAKHAND, NAINITAL
ADDRESS:- National Highway 12, Ramnagar Range,
Garjiya, Uttarakhand 244715
गर्जिया देवी मन्दिर, रामनगर
गरजिया देवी मंदिर, जिसे गिरिजा देवी मंदिर भी कहा जाता है, उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध मंदिर है। “सुंदरखाल” नामक एक गाँव में स्थित, यह मंदिर गर्जिया मंदिर रामनगर से लगभग 15 किमी की दूरी पर स्थित है।
- गरजिया मंदिर एक छोटी पहाड़ी की चोटी पर बना है।
- इस मंदिर के चारों ओर से कोसी नदी बहती है।
- यह मंदिर माता पार्वती के प्रमुख मंदिरों में से एक है।
- माँ पार्वती का एक नाम “गिरिजा” भी है।
गिरिराज हिमालय की पुत्री होने के कारण, उन्हें इस नाम से पुकारा जाता है।
गर्जिया देवी मंदिर का इतिहास
- इतिहासकारों के अनुसार, जहां रामनगर स्थित है, प्राचीन काल में कोसी नदी के तट पर ‘विराट नगर‘ था।
- कत्यूरी राजाओं से बहुत पहले, इस स्थान पर कुरु वंश और कई अन्य राजवंशों का शासन था।
- कत्यूरी राजवंश के अलावा, उत्तराखंड के चंद राजवंश, गोरखा वंश और ब्रिटिश शासकों ने यहाँ शासन किया ।
- महाभारत के समय, यह राज्य इंद्रप्रस्थ राजवंश (आधुनिक दिल्ली) के प्रभुत्व के अधीन था।
गर्जिया माता की पौराणिक कथा
गर्जिया देवी (Goddess Garjiya Devi ) को पहले उपटा देवी (Upta Devi) के नाम से जाना जाता था। ऐसा कहा जाता है –
- वर्तमान गर्जिया मंदिर जिस टीले में है, वह कोसी नदी की बाढ़ में कहीं ऊपरी क्षेत्र से बहकर आया था।
- भैरव देव ने टीले को बहते हुए आता देखा।
- मंदिर को टीले के साथ बहते हुये आता देखकर भैरव देव ने कहा – “थि रौ, बैणा थि रौ” अर्थात् ‘ठहरो, बहन ठहरो’, यहाँ पर मेरे साथ निवास करो।
तभी से गर्जिया में उपटा देवी यानी गर्जिया देवी निवास कर रही हैं।
वर्ष 1940 से पूर्व यह क्षेत्र भयंकर जंगलों से भरा पड़ा था और उपेक्षित अवस्था में था। सर्वप्रथम जंगल विभाग के कर्मचारियों और स्थानीय निवासियों ने इस टीले पर देवी मां की मूर्तियों को देखा। कहा जाता है कि टीले के पास मां दुर्गा का वाहन शेर भयंकर गर्जना भी किया करता था। कई बार शेर को इस टीले की परिक्रमा करते हुए भी लोगों द्वारा देखा गया। तब से यह क्षेत्र मां के शक्तिस्थल के रूप में दूर–दूर तक विख्यात हो गया। इसके बाद लोगों के सहयोग से यहां देवी मां का मंदिर बन गया। प्राचीन काल से ही इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था बहोत थी।
- एकांत सुनसान जंगली क्षेत्र,
- टीले के नीचे बहती कोसी नदी की प्रबल धारा,
- घास–फूस की सहायता से ऊपर टीले तक चढ़ना,
- जंगली जानवरों की भयंकर गर्जना के बावजूद भक्तजन इस स्थान पर मां के दर्शनों के लिए तांता लगाये रहते थे।
- 1956 में कोसी नदी में बाढ़ के कारण मंदिर की सभी मूर्तियां बह गयी थीं।
- तब पण्डित पूर्णचन्द्र पाण्डे ने फिर से इसकी स्थापना कर मंदिर को भव्यता प्रदान की।
- इस मन्दिर का व्यवस्थित तरीके से निर्माण 1970 में किया गया।
गर्जिया माता वर्तमान में
- वर्तमान में इस मंदिर में गर्जिया माता की भव्य मूर्ति स्थापित है।
- इसके साथ ही यहां माता सरस्वती, गणेश तथा बटुक भैरव की भी प्रतिमाएं आकर्षण का केंद्र हैं।
- मंदिर परिसर में एक लक्ष्मी नारायण का भी मंदिर स्थापित है।
- इस मंदिर में दर्शन से पहले श्रद्धालु कोसी नदी में स्नान करते हैं।
- नदी से मंदिर तक जाने के लिये 90 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।
- मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु यहां घण्टी या छत्र आदि चढ़ाते हैं।
- नव–विवाहिताएं यहां आकर अटल सुहाग की कामना करती हैं।
- नि:संतान दंपति संतान प्राप्ति के लिये माता के चरणों में मत्था टेकते हैं।
- देवी मां की पूजा के उपरांत बाबा भैरव को चावल व उड़द की दाल चढ़ाकर पूजा की जाती है ।
गर्जिया मंदिर कैसे पहुंचें :-
- गर्जिया मंदिर में पहुँचने के अनेक साधन हैं।
- रामनगर तक रेल और बस सेवा उपलब्ध है, उससे आगे के लिये टैक्सी मिल जाती है।
- रामनगर से Garjiya Temple की दूरी 15 किलोमीटर है।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क
इस मंदिर से 7-8 किलोमीटर की दूरी पर ही “Jim Corbett National Park” है। जहाँ आप “जंगल सफारी” का आनंद भी ले सकते हैं।
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